हर महासमर कुछ मौन प्रश्न छोड़ जाता है। तात्कालिक समाज और इतिहास भी बस विजय को स्मरण रखता है। मौन ...
यह पुस्तक उन परिलक्षणों को संबोधित करती है जो किसी संतान में पिता के बिना उसे भावनात्मक रूप में ख...
प्रवाह के साथ बह कर कहीं पहुँचा तो जा सकता है, लेकिन क्या वो उपलब्धि हमारी होगी? हम लक्ष्य प्राप्...
मनुष्य की भावनाएँ, मुख्यतः नौ रस से बनी होती हैं। इन रसों में एक रस 'करुण रस' है। इसे दया और भिक्...
उसकी पहली छुअन का वो सिहरा देने वाला एहसास और उसको महसूस करने की बेपनाह चाहत। फिर जब उसको छुआ और ...
'अनोखी' उपन्यास इक्कीसवीं सदी के भारत के बदलते स्वरूप को दर्शाता है। इस कथा लीला के पात्र भले ही ...
मन को किसी भी बंधन में बाँधा नही जा सकता। मन किसी के द्वारा नियंत्रित नही किया जा सकता। वो तो आसम...
ज़िन्दगी की इस अंधाधुंध दौड़ और दुनिया की आपा-धापी से दूर भी इक जहान है, जहाँ सिर्फ़ हम होते हैं औ...
'ख़लिश' एक उर्दू लफ्ज़ है, जिसका मतलब होता है चुभन। हमारी ज़िन्दगी कुछ अधूरे ख़्वाब, कुछ अनकहीं ब...
अपने दो नंबर के व्यापार (ग़ैरक़ानूनी व्यापार) में लिप्त मुरलीराजन को पता ही नहीं लगा कि अपनी विदेश ...
सामाजिक ताना-बाना, पल-पल बदलते इंसानी मन और सामाजिक प्रथाओं में उलझी ज़िन्दगी इस कहानी का मुख्य बि...
'बस में कोरोना रोगी?' एक दिल दहलाने वाला उपन्यास जो आपके रोंगटे खड़े कर देगा ...